ये मेरे हिस्से का सच है
आँखों में किरचों जैसे
कुछ ख्वाब लगे है चुभने
जीवन के इन्द्रधनुष के सारे
रंग लगे हैं उड़ने
पल भर में सब टूटे रिश्ते
किसको किसकी गरज है
ये मेरे हिस्से का सच है
वो कहते हैं नजर नजरिया मेरा
बदल गया है इतना
जो कल था जो आज है उसमे
फर्क है क्या और कितना
भेद न कोई अन्तर जाने
इतनी छोटी हुई समझ है
ये मेरे हिस्से का सच है
दिल के अंधियारे कोने में
कई राज़ छिपे हैं गहरे
मौन बना अब साथी जिनका
अश्कों के हैं पहरे
उन यादों को बिसरा दे मन
बस इतनी अरज है
ये मेरे हिस्से का सच है
Sunday, June 21, 2009
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