Sunday, March 9, 2008

आधा-अधूरा

सृष्टि की सम्पूर्णता मैं, आधी क्यों पहचान मेरी।

हौसले परवान पर, फिर भी आधी उड़ान मेरी।।

आधी दुनिया, आधी जमीं, आधा फलक मेरा जहां।

मेरे हिस्से मे ही क्यों, आधा-अधूरा सब यहां।।

आधी आबादी कहकर ये दुनिया, देती मुझे आवाज है।

आधे पहर में सिमटे ज्यों, ख्वाबों के परवाज हैं।।

आधी की अधिकारिणी मैं, आधी क्यों दास्तान मेरी ।

सृष्टि की सम्पूर्णता मैं, फिर भी आधी पहचान मेरी।।